Not known Details About Shodashi

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

The essence of such rituals lies from the purity of intention as well as depth of devotion. It's not simply the exterior steps but The inner surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.

The devotion to Goddess Shodashi is actually a harmonious blend of the pursuit of beauty and The search for enlightenment.

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥

As 1 progresses, the next section consists of stabilizing this newfound consciousness as a result of disciplined methods that harness the thoughts and senses, emphasizing the critical part of Strength (Shakti) in this transformative course of action.

Shodashi’s mantra assists devotees launch past grudges, pain, and negativity. By chanting this mantra, persons cultivate forgiveness and psychological release, promoting satisfaction and the chance to move ahead with grace and acceptance.

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

If you're chanting the Mantra for a selected intention, produce down the intention and meditate on it five minutes right before beginning Along with the Mantra chanting and 5 minutes following the Mantra chanting.

Her role transcends the mere granting of worldly pleasures and extends on the purification of the soul, leading to spiritual enlightenment.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के more info पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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